कथन 1 सही हैं
कथन 1 और 2 सही हैं
कथन 2 और 3 सही हैं
उपर्युक्त सभी कथन सही हैं
ग्लोबल जियो पार्क:– यह एकीकृत भू-वैज्ञानिक क्षेत्र होते हैं जहाँ अंतर्राष्ट्रीय भू-गर्भीय महत्त्व के स्थलों व परिदृश्यों का सुरक्षा, शिक्षा और टिकाऊ विकास की समग्र अवधारणा के साथ प्रबंधन किया जाता है। भारत में एक भी भू - वैज्ञानिक स्थल इस नेटवर्क में नही शामिल है। हाल ही में ‘भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास’, विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) के ‘एर्रा मट्टी डिब्बालू’ (लाल रेत के टीले), प्राकृतिक चट्टानीय संरचनाओं, बोर्रा गुफाओं और ज्वालामुखीय ऐश निक्षेपण आदि भू-वैज्ञानिक स्थलों के लिये मान्यता प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। विशाखापत्तनम का ‘एर्रा मट्टी डिब्बालू’:- यह तटीय लाल तलछट के टीले हैं जो विशाखापत्तनम और भीमुनिपत्तनम के बीच स्थित हैं। इन टीलों की चौड़ाई 200 मीटर से 2 किलोमीटर तक है, जो तट के किनारे पाँच किलोमीटर तक विस्तृत हैं। इस क्षेत्र के अलावा इस प्रकार के टीलों का जमाव दक्षिण एशिया में केवल दो अन्य स्थलों- तमिलनाडु की ‘तेरी सैंड्स’ और श्रीलंका के ‘रेड कोस्टल सैंड्स’ में है। मंगामरिपेटा में प्राकृतिक चट्टानीय संरचनाएँ: यह पूर्वी घाट में थोटलाकोंडा बौद्ध स्थल के सामने मंगामरिपेटा तट पर स्थित एक प्राकृतिक चट्टानीय मेहराब/रॉक आर्क है। बोर्रा गुफाएँ : इसे ‘भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण’ संस्थान के भू-वैज्ञानिक विलियम किंग जॉर्ज द्वारा खोजा गया था। ये लगभग 1 मिलियन वर्ष पुरानी गुफाएँ हैं जो समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित हैं। ज्वालामुखी ऐश/राख निक्षेपण: ऐसा माना जाता है कि यह अराकू (आंध्र प्रदेश) के पास 73,000 वर्ष पूर्व इंडोनेशिया में टोबा के ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न राख का निक्षेपण है।
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