लक्षणाध्यक्ष
रुपदर्शक
पौतवाध्यक्ष
संग्रहीता
मौर्यकाल में लक्षणाध्यक्ष टकसाल (छापेखाने) विभाग का अध्यक्ष था। उसी की देखभाल में सिक्के तैयार किए जाते थे जबकि रुपदर्शक सिक्कों की शुद्धता की जाँच करने वाला अधिकारी था। पौतवाध्यक्ष माप तौल विभाग का अध्यक्ष था। संग्रहीता वैदिक काल में कोषाध्यक्ष होता था।
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