इस अधिनियम में अखिल भारतीय महासंघ का प्रावधान था।
अवशिष्ट विषय प्रांतीय विधायिकाओं को आवंटित किए गए थे।
यह प्रांतीय स्वायत्तता के सूत्रपात का संकेत था।
इसने प्रांतीय स्तर पर द्वैध शासन प्रणाली को समाप्त कर केंद्र में लागू किया।
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1935 का भारत शासन अधिनियम पारित किया गया, जिसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का बंटवारा किया गया था। इस अधिनियम की 7वीं अनुसूची में संघीय, राज्य और समवर्ती सूची में विषयों का विभाजन किया गया था। इसके अतिरिक्त राज्य में द्वैध शासन समाप्त कर केंद्र में द्वैध शासन को लागू किया गया था। 1935 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा स्थापित होने वाले संघ में अवशिष्ट शक्तियां गवर्नर जनरल को प्रदान की गई थीं।
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