किशोर न्याय अधिनियम 2015
साइबर अधिनियम 2000
सूचना का अधिकार अनिधिनियम 2005
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012
सोशल मीडिया पर इस प्रकार के विज्ञापन अथवा पोस्ट किशोर न्याय (बच्चों की देख-भाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 80 और 81 के तहत गैर कानूनी है।
जे.जे. एक्ट की उपरोक्त धाराओं में, अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अलावा, किसी अन्य प्रकार से बच्चों को गोद लेने अथवा देने संबंधित प्रस्तावों को प्रतिबंधित किया गया है।
इसके साथ ही बच्चों की बिक्री और खरीद भी गैर कानूनी है।
इस प्रकार के कृत्यों के लिये 3 से 5 साल की जेल अथवा ₹ 1 लाख का जुर्माना या दोनों
गोद लेने की प्रक्रिया → यदि किसी व्यक्ति को किसी ऐसे बच्चे के बारे में जानकारी मिलती है जिसे देख-भाल की जरुरत है वह व्यक्ति निम्नलिखित चार एजेंसियों से संपर्क कर सकता है।
1. चाइल्ड लाइन 1098 3. जिला बाल संरक्षण अधिकारी
2. जिला बाल कल्याण समिति 4. बाल अधिकार संरक्षण राज्य आयोग
इसके बाद बाल कल्याण समिति उस बच्चे का आंकलन करेगी। यदि बच्चे के परिवार का कोई नहीं है तो राज्य, उस बच्चे का अभिभावक बन जाता है।
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