कैदियों की अंतरिम रिहाई
लॉकडाउन का सख्ती से पालन
वैक्सीन आपूर्ति के लिये केन्द्र सरकार को निर्देश
ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिये दिशा-निर्देश
हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने कोविड-19 महामारी की अनियंत्रित वृद्धि को देखते हुए पात्र कैदियों की अंतरिम रिहाई का आदेश दिया है। न्यायालय के इस आदेश का उद्देश्य जेलों में भीड़ कम करना और कैदियों के जीवन तथा स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा करना है। न्यायालय ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य (Arnesh Kumar vs State of Bihar) 2014 मामले में निर्धारित मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। इस मामले के तहत न्यायालय ने पुलिस को अनावश्यक गिरफ्तारी नहीं करने के लिये कहा था, खासकर उन मामलों में जिनमें सात वर्ष से कम जेल की सजा होती है। देश के सभी ज़िलों के अधिकारी आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- Cr.P.C) की धारा 436ए को प्रभावी ढंग से लागू करेंगे। Cr.P.C की धारा 436A के तहत अपराध के लिये निर्धारित अधिकतम जेल अवधि का आधा समय पूरा करने वाले विचाराधीन कैदियों को व्यक्तिगत गारंटी पर रिहा किया जा सकता है। न्यायालय ने जेलों में भीड़भाड़ से बचने के लिये दोषियों को उनके घरों में नज़रबंद रखने पर विचार करने के लिये विधायिका को सुझाव दिया है। वर्ष 2019 में जेलों में कैदियों के रहने की दर बढ़कर 118.5% हो गई थी। विचाराधीन कैदी: इसके अंतर्गत उन कैदियों को रखा जाता है जिन्हें अभी तक उन पर लगाए गए अपराधों के लिये दोषी नहीं पाया गया है।
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