पिछले 10 वर्षों में कुल 186 हाथियों की मौत हुई है।
केरल में रेल की पटरियों पर सर्वाधिक (62) मौतें हुई है।
उत्तर प्रदेश में एक हाथी मौत हुई है।
हाल ही में असम में 18 हाथियों की मौत एक साथ हो गयी।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के अनुसार, 2009-10 और 2020-21 के मध्य पूरे भारत में ट्रेनों की चपेट में आने से कुल 186 हाथियों की मौत हुई है। असम में रेल की पटरियों पर सर्वाधिक संख्या (62) में हाथियों की मौत हुई है, इसके बाद पश्चिम बंगाल (57) और ओडिशा (27) का स्थान है। उत्तर प्रदेश में एक हाथी की मौत हुई थी। मौतों को रोकने के लिये उपाय → रेल दुर्घटनाओं से होने वाली हाथियों की मौत को रोकने के लिये रेल मंत्रालय और MoEFCC के बीच एक स्थायी समन्वय समिति का गठन किया गया है। लोको पायलटों को स्पष्ट दिखाई देने के लिये रेलवे पटरियों के किनारे के पेड़-पौधों या वनस्पतियों की सफाई करना, हाथियों के सुरक्षित आवागमन हेतु अंडरपास/ओवरपास का निर्माण करना, रेलवे पटरियों के संवेदनशील हिस्सों की नियमित गश्त या पेट्रोलिंग, उपयुक्त स्थानों पर चेतावनी संकेतक बोर्डों का उपयोग करना आदि। MoEFCC ने 2011-12 और 2020-21 के बीच हाथी परियोजना के तहत हाथी रेंज वाले राज्यों को 212.49 करोड़ रुपए आवंटित किये। हाथी परियोजना: 1992 हाथियों के साथ-साथ उनके आवास और गलियारों की रक्षा करना। मानव-वन्यजीव संघर्ष के मुद्दों की पहचान करना। बंदीगृहों में कैद हाथियों का मुक्त करना। हाथी परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक 5 वर्षों में एक बार हाथियों की गणना की जाती है। पिछली बार हाथियों की गणना वर्ष 2017 में हुई थी। हाथी जनगणना 2017 के अनुसार, भारत में एशियाई हाथियों की कुल संख्या 27,312 है। कर्नाटक में हाथियों की संख्या सर्वाधिक है, इसके बाद असम और केरल का स्थान है।
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