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हाल ही में पश्चिम बंगाल की सरकार ने राज्य में विधान परिषद (Legislative Council) की स्थापना का निर्णय लिया है। ज्ञातव्य है, कि इससे पहले, पश्चिम बंगाल में ‘उच्च सदन’ अर्थात ‘विधान परिषद’ की स्थापना वर्ष 1952 में की गई थी और वर्ष 1969 तक यह अस्तित्व में रहा। जिस प्रकार संसद के दो सदन होते हैं, उसी प्रकार संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार राज्यों में विधानसभा के अतिरिक्त एक विधान परिषद भी हो सकती है। विधान परिषद वाले छह राज्य » आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक। वर्ष 2020 में आंध्र प्रदेश विधानसभा ने विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया। अंततः परिषद को समाप्त करने के लिये भारत की संसद द्वारा इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी जानी बाकी है। वर्ष 2019 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 के माध्यम से जम्मू और कश्मीर विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया। इसके लिए कार्रवाई → ‘विधान परिषद’ की स्थापना करने के लिए, विधानसभा में एक विधेयक पेश करना होता है और फिर इसके लिए राज्यपाल का अनुमोदन आवश्यक होती है। सदन में सदस्यों की संख्या → भारतीय संविधान के अनुच्छेद 171 खंड (1) के अनुसार, विधान परिषद वाले किसी राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या, उस राज्य की विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं होनी चाहिए, तथा किसी राज्य की विधान परिषद के सदस्यों की कुल संख्या किसी भी दशा में 40 से कम नहीं होगी। राज्य सभा के समान विधान परिषद एक सतत् सदन है, अर्थात् यह एक स्थायी निकाय है जिसका विघटन नहीं होता। विधान परिषद के एक सदस्य (Member of Legislative Council- MLC) का कार्यकाल छह वर्ष का होता है, जिसमें एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं।
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