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एक नए अध्ययन में कहा गया है कि अंटार्कटिका की बर्फ की चादरें 2060 तक जलवायु परिवर्तन बिंदु (Climate Tipping Points) की ओर बढ़ रही हैं। अंटार्कटिका में जलवायु बदलाव → अंटार्कटिका में कई बर्फ विशाल खंड हैं। जैसे ही ये बर्फ खंड टूटते हैं, बर्फ की ऊंची चट्टानें अपने आप खड़ी नहीं हो सकती हैं। इस अध्ययन में पाया गया कि ये बर्फ के यह खंड तेजी से टूट रहे हैं। अंटार्कटिका की बर्फ की चादरें और खंड उन बेड रॉक्स पर जमी हुई हैं जो महाद्वीप के केंद्र की ओर ढलती हैं। समुद्र के पानी के गर्म होने से उनके निचले किनारे पिघल रहे हैं। यह उन्हें अस्थिर कर सकता है। इस प्रकार, यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि अंटार्कटिका अपरिवर्तनीय जलवायु परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है, अर्थात यह अपने जलवायु परिवर्तन बिंदु (Climate Tipping Points) की ओर बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन बिंदु (Climate Tipping Points) वह दहलीज है जो बड़े बदलाव की ओर ले जाती है। Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) की पांचवीं असेसमेंट रिपोर्ट ने जलवायु परिवर्तन बिंदु (Climate Tipping Points) को जलवायु प्रणाली में अपरिवर्तनीय परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया। इसे अक्सर Runaway Climate Change के रूप में जाना जाता है। हालांकि, यह Runaway Greenhouse Effect के समान नहीं है। Runaway Greenhouse Effect → यह तब होता है जब ग्रह के वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें ग्रह को ठंडा होने से रोकती हैं। यह एक चरम ग्रीन हाउस प्रभाव है। यह अपरिवर्तनीय जलवायु स्थिति बनाता है। रनवे ग्रीनहाउस प्रभाव इतना चरम है कि महासागर गर्म जाते हैं और ग्रह को निर्जन बना देते हैं। यह एक अपरिवर्तनीय जलवायु स्थिति है। यह घटना शुक्र ग्रह में हुई थी।
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