हर्षवर्द्धन
अशोक
चन्द्रगुप्त मौर्य
बिम्बिसार
हर्ष के पास बड़ी सेना तभी हो सकती थी यदि वह युद्ध के समय अपने सामंतों का सहयोग प्राप्त कर सकता। राज्य की विशेष सेवाओं के लिए पुरोहितों को भी भूमि दान देने की परंपरा जारी रही इतना ही नहीं हर्ष ने पदाधिकारियों को शासन पत्र के द्वारा जमीन देने की प्रथा चलाई।
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