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हाल ही में भारत ने ब्रिक्स 2021 के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की दिशा में ब्रिक्स खगोल विज्ञान कार्य-समूह (BAWG) की 7वीं बैठक की वर्चुअल (online) मेज़बानी की।
भारत की ओर से इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स ( IUCAA) पुणे तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने इस बैठक को संचालित किया।
ब्रिक्स दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये एक संक्षिप्त शब्द (Abbreviation) है।
वर्ष 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्री जिम ओ’ नील द्वारा ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन की चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं के वर्णन करने के लिये BRICS शब्द की चर्चा की।
वर्ष 2006 में ब्रिक (BRIC) विदेश मंत्रियों की प्रथम बैठक के दौरान समूह को एक नियमित अनौपचारिक रूप प्रदान किया गया।
दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को ब्रिक (BRIC) में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया, जिसके बाद दक्षिण अफ्रीका ने चीन में आयोजित तीसरे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और समूह ने संक्षिप्त रूप ब्रिक्स (BRICS) को अपनाया।
जनवरी 2021 में भारत ने ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण की है।
ब्रिक्स कोई संगठन का रूप नहीं है, बल्कि यह पाँच देशों के सर्वोच्च नेताओं के बीच एक वार्षिक शिखर सम्मेलन है।
ब्रिक्स खगोल विज्ञान कार्य-समूह (BAWG) के बारे में →
यह ब्रिक्स सदस्य देशों को खगोल विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग करने के लिये एक मंच प्रदान करता है, साथ ही यह अनुशंसा करता है कि प्रत्येक देश में अपने केंद्र-बिंदु में किये जा रहे कार्यों के वैज्ञानिक परिणाम प्रस्तुत करे।
जब भी ब्रिक्स फंडिंग एजेंसियों द्वारा फंडिंग के अवसरों की घोषणा की जाती है, तो यह फ्लैगशिप प्रोजेक्ट को साकार करने के लिये फंडिंग सपोर्ट लेने में मदद करेगा।
बैठक में कार्य-समूह के सदस्यों ने इस क्षेत्र में भविष्य के अनुसंधान की दिशा के बारे में भी संकेत दिये जैसे- इंटेलीजेंट टेलीस्कोप का नेटवर्क और डेटा नेटवर्क का निर्माण, ब्रह्मांड में होने वाली क्षणिक खगोलीय घटनाओं का अध्ययन, बिग डेटा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बेहतर मल्टी-वेवलेंथ टेलीस्कोप वेधशाला की वजह से उत्पन्न होने वाले बेहद विशाल आँकड़ों को संसाधित करने के लिये मशीन लर्निंग एप्लीकेशन आदि।
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