व्हाट्सएप ने, त्वरित संदेश प्लेटफार्मों द्वारा, संदेशों के ‘मूल लेखकों’ की पहचान करने में सहायता करने को अनिवार्य बनाने वाले, भारत सरकार द्वारा लागू किये गए नए और सख्त आईटी नियमों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। याचिका में 26 मई से लागू किए गए नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। नए नियमों की विवादास्पद धाराएँ → सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के अनुसार, “संदेश सेवाएं प्रदान करने वाला मध्यस्थ, सक्षम न्यायालय द्वारा पारित न्यायिक आदेश अथवा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा धारा 69 के तहत पारित आदेश के बाद “अपने कंप्यूटर संसाधन पर ‘सूचना के मूल जनक’ की पहचान उजागर करेगा”। नियमों में कहा गया है, कि इस तरह के आदेश, केवल भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित अपराधों, और इसके अलावा बलात्कार, यौन-प्रदर्शन संबंधी सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री और न्यूनतम पांच साल के कारावास से दंडनीय अपराधों, की रोकथाम करने, पता लगाने, जांच करने, अभियोजन या दंड के प्रयोजनों से पारित किए जायेंगे। व्हाट्सएप द्वारा दिए गए तर्क → व्यक्तियों के निजता के अधिकार को दुर्बल करते हैं: ये नियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्याभूत ‘निजता के मौलिक अधिकार’ का उल्लंघन करते हैं। के.एस. पुट्टस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ: इस मामले में अदालत द्वारा ‘निजता का अधिकार’ संविधान के तहत प्रत्याभूत मौलिक अधिकार बताया गया है। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि करते हुए कहा है, कि, ‘पहचान जाहिर न करने का अधिकार’, ‘निजता के अधिकार’ में शामिल है।
Post your Comments