महात्मा गाँधी
वीर सावरकर
जवाहरलाल नेहरु
सुभाष चन्द्र बोस
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अग्रणी हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर को उनकी जयंती- 28 मई पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में भागुर शहर में हुआ था।
वह विदेशी वस्तुओं के विरोधी थे और ‘स्वदेशी’ के विचार का समर्थन करते थे।
1905 में, उन्होंने दशहरे के अवसर पर सभी विदेशी सामानों को अलाव में जला दिया।
वह नास्तिकता और तार्किकता का समर्थन करते थे और उन्होंने रूढ़िवादी हिंदू विचारों का खंडन किया।
वस्तुतः, उन्होंने गाय की पूजा को भी अंधविश्वास कह कर खारिज कर दिया था।
विनायक सावरकर, वर्ष 1937 से 1943 के दौरान हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे।
22 अक्टूबर 1939 को कांग्रेस मंत्रालयों द्वारा त्यागपत्र दिए जाने के बाद, इनके नेतृत्व में हिंदू महासभा ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सिंध, बंगाल और पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत (NWFP) प्रांतों में सरकार बनाने के लिए सहयोग किया।
सावरकर ने, पुणे में, “अभिनव भारत समाज” नामक संगठन की स्थापना की।
इन्होंने ‘फ्री इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की।
विनायक सावरकर और गणेश सावरकर ने 1899 में नासिक में एक क्रांतिकारी गुप्त समाज मित्र मेला की शुरुआत की थी।
अपनी पुस्तक ‘द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ में सावरकर ने 1857 के सिपाही विद्रोह में इस्तेमाल किए गए गुरिल्ला युद्ध के बारे में लिखा।
इस पुस्तक को अंग्रेजों ने प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन मैडम भीकाजी कामा ने नीदरलैंड, जर्मनी और फ्रांस में पुस्तक प्रकाशित की, जो अंततः यह कई भारतीय क्रांतिकारियों तक पहुंच गई।
उन्होंने अपनी पुस्तक ‘हिंदुत्व‘ में दो राष्ट्र सिद्धांत की स्थापना की, जिसमें हिंदुओं और मुसलमानों को दो अलग-अलग राष्ट्र बताया गया। 1937 में, हिंदू महासभा ने इस विचार को एक प्रस्ताव के रूप में पारित किया।
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