राज्य की नीति निदेशक तत्व
राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
मूल अधिकार
भारत सरकार के कार्य का संचालन
जवाहरलाल नेहरु
सरदार पटेल
डॉ.बी.आर.अम्बेडकर
डॉ.राजेंद्र प्रसाद
राष्ट्रवादी नेताओं के साम्राज्यवाद-विरोधी सिद्धांतो को व्यर्थ करने के लिए राजाओं का इस्तेमाल करना
राजसी प्रांतो पर और अधिक प्रत्यक्ष राजनैतिक और प्रशासनिक नियंत्रण रखना
अंग्रेजो द्वारा समस्त राजसी प्रांतो के संपूर्ण राजनैतिक और प्रशासनिक अधिग्रहण को अंततः प्रभावी बनाना
उपनिवेश के प्रशासन में राजाओं को सक्रिय रुप से शामिल करना
फैजपुर अधिवेशन
रामगढ़ अधिवेशन, 1940
लखनऊ अधिवेशन, 1936
इनमें से कोई नहीं
महात्मा गांधी
सी राजगोपालाचारी
जवाहरलाल नेहरु
एस.सी.बोस
डॉ.राजेंद्र प्रसाद
एम.ए.जिन्ना
मौलाना अबुल कलाम आजाद
जवाहरलाल नेहरु
इसमें भारत विभाजन उल्लिखित है।
इसके द्वारा भारत को स्वतंत्रता मिली।
यह भारतीय संविधान का प्रमुख स्त्रोत है।
इसके द्वारा रियासतें समाप्त हुई।
प्रांतीय स्वायत्तता
एक अखिल भारतीय सभा
केंद्र में, साथ ही साथ राज्यों में द्वैध शासन
द्विसदनी विधानमंडल
इस अधिनयम में केंद्रीय एवं प्रांतीय विषयों को अलग कर दिया गया था।
भारत सरकार अधिनियम, 1919, 1921 में लागू हुआ।
मांटेग्यू भारत के राज्य सचिव एवं लॉर्ड चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे।
यह अधिनियम मार्ले-मिंटो सुधार अधिनियम के नाम से जाना जाता है।
रौलेट कमीशन
क्रिप्स मिशन
कैबिनेट मिशन
साइमन कमीशन