30000 किमी.
36000 किमी.
42000 किमी.
इनमें से कोई नहीं
ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर
पहले ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फिर ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर
मूल परावलयिक पथ के साथ-साथ
पहले क्षैतिज और फिर परावलयिक पथ के साथ-साथ
गुरुत्वाकर्षण
बॉयल का नियम
1 और 2 दोनों
उत्पलावकता
वह फट जाएगी।
यह वस्तु अंतरिक्ष में चली जाएगी।
वह वापस पृथ्वी पर आ गिरेगी।
यह पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
इस पर गैस अणुओं का पलायन वेग उसके वर्ग माध्य मूल वेग से कम होता है।
यह पृथ्वी के निकट है।
यह सूर्य से प्रकाश प्राप्त करता है।
अधिक हो जाएगा।
कम हो जाएगा।
अपरिवर्तित रहेगा।
लड़की की ऊँचाई पर निर्भर करेगा।
बसंत ऋतु में
शीतकाल में
वर्षा ऋतु में
ग्रीष्म ऋतु में
गुरुत्वाकर्षण बल या इसकी कमी
अपकेंद्रीय बल
केंद्राभिमुखी बल
कोई अन्य बल
वस्तु का भार शून्य हो जाएगा परंतु द्रव्यमान वही रहेगा।
वस्तु का द्रव्यमान बढ़ जाएगा।
वस्तु का द्रव्यमान शून्य हो जाएगा परंतु भार वही रहेगा।
वस्तु का भार तथा द्रव्यमान दोनो शून्य हो जाएगा