ताप्ती नदी की घाटी विवर्तकी है।
ताप्ती या तापी नदी मध्य प्रदेश के सतपुड़ा श्रेणी से निकलता है।
यह सतपुड़ा और अजंता पर्वतों के बीच से निकलती है।
यह खम्भात के खाड़ी में गिरती है, जहां सूरत नगर स्थित है ।
यह विभ्रंश घाटी से होकर बहती है।
लूनी नदी का उद्गम अरावली श्रेणी से हुआ है।
इसके उद्गम स्थान के पास अजमेर शहर है।
यह राजस्थान से निकलकर राजस्थान के कच्छारण के दलदल में विलुप्त हो जाता है।
खास पहचान इसकी यह है कि इसके ऊपरी मार्ग पर मीठा जल तथा निचले भाग पर खारा जल मिलता है।
हिमालय के अपवाह तंत्र में तीन नदियों के बेसिन शामिल हैं, जिसमें गंगा, ब्रह्मपुत्र व सिंधु नदी शामिल है।
महानदी प्रायद्वीपीय नदी के विंध्य श्रेणी में शामिल है।
सोन नदी मध्य प्रदेश स्थित अमरकंटक से के पहाड़ी से निकलती है।
पटना के पास गंगा से मिलती है।
इसके रेत में सोने के कण पाए जाते हैं।
इसलिए इसे स्वर्ण नदी भी कहा जाता है।
यमुना नदी की मुख्य सहायक नदियां चम्बल, बेतवा, केन, सिंध, हिडन आदि नदियाँ हैं।
यमुना नदी गंगा नदी-तंत्र की सर्वाधिक लम्बी सहायक नदी है।
यह यमुनोत्री हिमानी से निकलती है।
दिल्ली इसी नदी के तट पर स्थित है।
महानदी एस्चुरी का निर्माण नहीं करती है।
महानदी का उद्गम स्थान छत्तीसगढ़ है, जबकि यह बंगाल की खाड़ी में मिलता है और हीराकुंड बांध भी इसी नदी पर स्थित है।
नर्मदा नदी मैकाल पहाड़ियाँ में अमरकंटक पठार से निकलती है।
नर्मदा नदी मध्य प्रदेश से निकलती है, जबलपुर इसके निकट स्थित है।
इसी पर धुँआधार जलप्रपात इसी नदी पर स्थित है।
यह विन्धय और सतुपुड़ा श्रेणियों के बीच से भ्रंश घाटी से होकर गुजरती है।
यह पश्चिम की तरफ बहने वाली नदियों में से एक है।
नर्मदा नदी को मध्य भारत की जीवन रेखा मानी जाती है।
तेज बहाव के कारण यह नदी मुहाने पर डेल्टा नदी बनाती है।
तापी या ताप्ती नदी, नर्मदा नदी, यह सब नदियां डेल्टा नहीं बनाती हैं क्योंकि इन नदियों का ढाल तेज होता है और यह डेल्टा बनाने के लिए डिसट्रिब्यूटरीज में बंटती ही नही।
यह दोनों नदियों अरब सागर में मिलती है।