1857 ki Kranti
अंग्रेजी भारतीय सेना में चर्बी वाले कारतूसों से चलने वाली एनफील्ड राइफल कब शामिल की गई - दिसंबर, 1856 B.P.S.C. (Pre) 2005
- दिसंबर, 1856 में सरकार ने पुराने लोहे वाली बंदूक ब्राउन बेस के स्थान पर नये एनफील्ड राइफल के प्रयोग का निर्णय लिया।
- इसका प्रशिक्षण डम-डम, अम्बाला और स्यालकोट में दिया जाना था।
- इस नई राइफल में कारतूस के ऊपरी भाग को मुंह से काटना पड़ता था।
- जनवरी, 1857 में बंगाल सेना में यह अफवाह फैल गई कि चर्बी वाले कारतूस में गाय और सूअर की चर्बी है।
- सैनिक अधिकारियों ने इस अफवाह की जांच किए बिना तुरंत इसका खंडन कर दिया।
- लेकिन सैनिकों को विश्वास हो गया कि चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग उनके धर्म को भ्रष्ट करने का एक निश्चित प्रयत्न है।
- यही भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के विद्रोह का मुख्य कारण बना।
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मंगल पांडे कहां के विप्लव से जुड़े हैं - बैरकपुर U.P.P.C.S. (Pre) 2010
मंगल पांडेय की घटना हुई थी - बैरकपुर में P.C.S. (Mains) 2005
- 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर में सैनिकों ने चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से इंकार कर दिया और एक सैनिक मंगल पांडेय ने अपने एजुडेंट पर आक्रमण कर उसकी हत्या कर दी।
- अंग्रेजों द्वारा 34 वीं एन.आई. रेजिमेंट भंग कर दी गई और अपराधियों को दंड दिया गया।
1857 के विद्रोह के दौरान बहादुर शाह ने किसे साहब-ए-आलम बहादुर का खिताब दिया था - बख्त खान U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2016
- 1857 के विद्रोह के दौरान बहादुर शाह ने बख्त खान को साहब-ए-आलम बहादुर का खिताब दिया था।
- बख्त खान एक पख्तून था।
- ईस्ट इंडिया कंपनी में वह सूबेदार के पद पर था तथा कंपनी की ओर से उसने प्रथम अंग्रेज - अफगान युद्ध में भाग लिया था।
- बहादुर शाह ने अपने बड़े पुत्र मिर्जा मुगल अथवा मिर्जा जहीरुद्दीन को मुख्य सेनापति घोषित किया, लेकिन विद्रोह में वास्तविक नेतृत्व बख्त खान के पास था।
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1857 के संग्राम के केंद्रो में से सबसे पहले अंग्रेजों ने किसे पुनः अधिकृत किया - दिल्ली U.P.P.C.S. (Mains) 2008
- कैप्टन निकॉल्सन के नेतृत्व में तीन महीने की घेराबंदी के बाद 20 सितंबर, 1857 ई. को अंग्रेजों द्वारा दिल्ली की पुर्नप्राप्ति कर ली गई।
1857 की क्रांति सर्वप्रथम कहां से प्रारंभ हुई - मेरठ U.P.P.C.S. (pre) 1990/U.P.P.C.S. (Pre) 1994
- 1857 की क्रांति का प्रारंभ 10 मई को मेरठ से हुआ था।
- यहां की तीसरी कैवेलरी रेजीमेंट के सैनिकों ने चर्बीयुक्त कारतूसों को छूने से इंकार कर दिया और खुलेआम बगावत कर दी।
- अपने अधिकारियों पर गोली चलाई और अपने साथियों को मुक्त करवा कर वे लोग दिल्ली की ओर चल पड़े।
- जनरल हेविट के पास 2200 यूरोपीय सैनिक थे लेकिन उसने इस तूफान को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया।
- विद्रोहियों ने 12 मई, 1857 को दिल्ली पर अधिकार कर लिया।
- लेफ्टिनेंट विलोबी ने जो दिल्ली के शस्त्रागार का कार्यवाहक था, कुछ प्रतिरोध किया परंतु वह पराजित हुआ।
- मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वितीय को भारत का सम्राट घोषित किया गया।
- दिल्ली में विद्रोह की सफलता ने उत्तर और मध्य भारत के कई भागों में सनसनी फैला दी तथा अवध, रुहेलखंड, पश्चिम बिहार तथा उत्तर पश्चिम प्रांतों के अनेक अन्य नगरों में भी विद्रोह फैल गया।
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महारानी लक्ष्मीबाई की समाधि कहां स्थित है - ग्वालियर M.P.P.C.S. (Pre) 2013
- महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में जबकि इनकी मृत्यु ग्वालियर में हुई थी।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित पहली घटना थी - सैनिकों का दिल्ली के लाल किले पर पहुँचना U.P.P.C.S. (Mains) 2008
- 11 मई, 1857 दिल्ली में मेरठ से आए सिपाहियों के दस्तें ने मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वितीय से यह अपील की कि सम्राट इन सिपाहियों का नेतृत्व स्वीकार करे।
- इस प्रकार सैनिकों का दिल्ली के लाल किले पर पहुँचना पहली घटना थी।
- कानपुर में नाना साहब ने 5 जून, 1857 को विद्रोह किया।
- बेगम हजरत महल ने 4 जून, 1857 को प्रारंभ अवध (लखनऊ) के विद्रोह का नेतृत्व किया।
- झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने जून, 1857 में विद्रोह किया और वे 17 जून, 1858 को शहीद हो गई।
1857 के स्वाधीनता संग्राम का प्रतीक था - कमल और रोटी M.P.P.C.S. (Pre) 1990
- 1857 के स्वाधीनता संग्राम का प्रत्तीक कमल और रोटी था।
- यह विद्रोह एक व्यापक और सुंसगठित षडयंत्र का परिणाम था।
1857 के स्वाधीनता संघर्ष की वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की जन्मस्थली है - वाराणसी U.P.P.C.S. (Spl) (Pre) 2008
- रानी लक्ष्मीबाई (मूल नाम मनिकर्णिका) का जन्म 19 नवंबर, 1835 को गोलघर में हुआ था।
- उनके पिता मोरोपंत झांसी के महाराजा गंगाधर राव के दरबार में गए।
- उस समय लक्ष्मीबाई की उम्र 13 वर्ष थी।
- 14 वर्ष की उम्र में उनका विवाह झांसी के महाराजा गंगाधर राव के साथ हुआ।
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लखनऊ में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किसने किया था - हजरत महल U.P.P.C.S. (Pre) (Re- Exam) 2015
1857 के बरेली विद्रोह का नेता कौन था - खान बहादुर U.P.P.C.S. (pre) 1998
- बरेली में रुहेलखंड के भूतपूर्व शासक के उत्तराधिकारी खान बहादुर ने 1857 के विद्रोह की रहनुमाई की।
- मगर ब्रिटिश पेंशन पर गुजर - बसर कर रहे खान बहादुर ने शुरु में इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ली थी, लेकिन विद्रोह की लहर फैलते ही उन्होंने खुद प्रशासन संभाल लिया और करीब 40 हजार सैनिकों को संगठित कर अपनी मजबूत सेना बनाई और अंग्रेजों का कड़ा मुकाबला किया।
- मुगल सम्राट बहादुर शाह द्वितीय ने उन्हें वायसराय के पद पर नियुक्त किया था।
- इस पद पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के साथ समानता का व्यवहार किया और एक सुयोग्य राजनीतिज्ञ के गुणों का प्रदर्शन किया।
1857 के संघर्ष में भाग लेने वाले सिपाहियों की सर्वाधिक संख्या थी - अवध से U.P. Lower Sub. (Pre) 2015
- 1857 के संघर्ष में भाग लेने वाले सिपाहियों की सर्वाधिक संख्या अवध से थी।
- वास्तव में उस समय अवध में शायद ही कोई ऐसा परिवार रहा हो जिसका कोई सदस्य सेना में न रहा हो।
- केवल अवध से ही लगभग 75 हजार सैनिक सेना में थे।
कौन इलाहाबाद में 1857 के संग्राम का नेता था - मौलवी लियाकत अली U.P.P.C.S. (Mains) 2015
- इलाहाबाद में 1857 के संग्राम में विद्रोहियों की कमान मौलवी लियाकत अली ने संभाली।
- बाद में यहाँ के विद्रोह को जनरल नील ने समाप्त किया।
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नाना साहब का कमांडर - इन - चीफ कौन थे - तात्या टोपे U.P. Lower Sub.(Spl) (Pre) 2008
- कानपुर में 5 जून, 1857 को नाना साहब को पेशवा मानकर स्वतंत्रता की घोषणा की गई।
- नाना साहब को सेनापति (कमांडर - इन - चीफ) तात्या टोपे से बहुत सहायता मिली थी।
अजीमुल्ला खां सलाहकार थे - नाना साहब के P.C.S. (Pre) 2012
- अजीमुल्ला खां नाना साहब के सलाहकार थे।
- इन्होंने नाना साहब के सचिव के रुप में भी कार्य किया था।
- इन्हें क्रांतिदूत के नाम से भी जाना जाता है।
पटना के 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नेता थे - राजपूत कुंवर सिंह B.P.S.C. (Pre) 1999
- पटना (बिहार) के निकट जगदीशपुर के जमींदार कुंवर सिंह ने विद्रोह का नेतृत्व किया।
- उनकी जमींदारी कंपनी की नीतियों के कारण छिन गई थी, उसके बाद उन्होंने अपने रोष की अभिव्यक्ति विद्रोह में कर दी।
1857 ई. की क्रान्ति में अंग्रेजों व जोधपुर की संयुक्त सेना को पराजित करने वाला था - आउवा के ठाकुर कुशल सिंह R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993
- आउवा के ठाकुर कुशल सिंह ने 1857 ई. की क्रान्ति में अंग्रेजों और जोधपुर की संयुक्त सेना को पराजित किया था।
कौन असम में 1857 की क्रान्ति का नेता था - दीवान मनिराम दत्त U.P.P.C.S. (Mains) 2007
- असम में 1857 की क्रान्ति के समय वहाँ के दौरान मनिराम दत्त ने वहाँ के अंतिम राजा के पौत्र कंदपेश्वर सिंह को राजा घोषित करके विद्रोह की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही विद्रोह का दमन करके मनिराम को फांसी दे दी गई।
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1857 के विद्रोह का बिहार में 15 जुलाई, 1857 से 20 जनवरी, 1858 तक केन्द्र था - जगदीशपुर B.P.S.C. (Pre) 1999
- बिहार में 1857 के विद्रोह का केंद्र जगदीशपुर था, जहां जमींदार कुंवर सिंह ने नेतृत्व संभाला और शाहाबाद जिले में अंग्रेजों की सत्ता का तख्ता पलट कर अपनी सरकार स्थापित की।
- बिहार के विद्रोह को पटना डिवीजन (कमिश्नरी) के कमिश्नर विलियम टेलर और बंगाल गोलंदाज फौज के मेजर विंसेट आयर द्वारा दबा दिया गया।
कौन 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों का सबसे कट्टर दुश्मन था - मौलवी अहमदुल्लाह शाह B.P.S.C. (Pre) 2001
- मौलवी अहमदुल्लाह शाह ने फैजाबाद में 1857 के विद्रोह को अपना नेतृत्व प्रदान किया।
- ये अंग्रेजों के सबसे कट्टर दुश्मन थे।
- वह मूलतः तमिलनाडु में अर्काट के रहने वाले थे।
- पर वह फैजाबाद में आकर बस गए थे।
- उन्होंने भारत के विभिन्न धर्मानुयायियों का आह्वान करते हुए कहा कि सारे लोग काफिर अंग्रेजों के विरुद्ध खड़े हो जाओं और उन्हें भारत से बाहर खदेड़ दो।
- इनके बारे में अंग्रेजों ने कहा कि अदम्य साहस के गुणों से परिपूर्ण और दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति तथा विद्रोहियों में सर्वोत्तम सैनिक है।
- इनकी गिरफ्तारी के लिए ब्रिटिश सरकार ने 50000 रु. का इनाम रखा था।
1857 के विद्रोह को किस उर्दू कवि ने देखा था - मिर्जा गालिब B.P.S.C. (Pre) 2001
- 1857 के विद्रोह मिर्जा गालिब ने स्वयं अपनी आंखों से देखा था - उर्दू शायर मिर्जा गालिब का जन्म 27 दिसंबर, 1796 को आगरा में और मृत्यु 15 फरवरी, 1869 को दिल्ली में हुई थी।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में किस राजवंश ने अंग्रेजों की सर्वाधिक सहायता की - ग्वालियर के सिंधिया M.P.P.C.S. (Pre) 2010
- 1857 के स्वतंत्रता संघर्ष में ग्वालियर के सिंधिया ने अंग्रेजों की सर्वाधिक सहायता की।
- यूरोपीय इतिहासकारों ने ग्वालियर के मंत्री सर दिनकर राव और हैदराबाद के मंत्री सालारजंग की राजभक्ति की बहुत सराहना की है।
- संकट के समय कैनिंग ने कहा था यदि सिंधिया भी विद्रोह में सम्मिलित हो जाए तो मुझे कल ही बिस्तर गोल करना होगा।
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दिल्ली | अवध | कानपुर | झांसी | लखनऊ | आरा | असम |
बख्त खां | मौलवी अहमदुल्ला | नाना साहब | रानी लक्ष्मीबाई | बेगम हजरत महल | कुंवर सिंह | मनी राम दीवान |
1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था - लॉर्ड कैनिंग P.C.S. (Pre) 2005/U.P.P.C.S. (Pre) 1990/U.P.P.C.S. (Pre) 2012/U.P.R.O/A.R.O (Mains) 2013
- 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग (1856 - 62) था।
- लॉर्ड कैनिंग भारत में कंपनी द्वारा नियुक्त अंतिम गवर्नर जनरल तथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन नियुक्त भारत का पहला वायसराय था।
- सैन्य सुधार के अंतर्गत कैनिंग ने भारतीय सैनिकों की संख्या घटाकर, उनके हाथों से तोपखाने के अधिकार को छीन लिया।
- न्यायिक सुधारों के अंतर्गत कैनिंग ने इंडियन हाईकोर्ट एक्ट द्वारा बंबई कलकत्ता तथा मद्रास में एक - एक उच्च न्यायालय की स्थापना की।
- सामाजिक सुधारों के अंतर्गत विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 के कैनिंग के समय में ही पारित हुआ था।
1857 - विद्रोह के समय बैरकपुर में कौन ब्रिटिश कमाण्डिंग ऑफिसर था - हैरसे U.P.P.C.S. (R.I.) 2014
- 1857 विद्रोह के समय बैरकपुर में लेफ्टिनेंट जनरल सर जॉन बेनेट हैरसे कमाण्डिंग ऑफिसर थे।
1857 के विद्रोह के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री कौन था - पामर्स्टन U.P.P.C.S. (Pre) 1991
- जिस समय भारत में 1857 की क्रांति हुई, ब्रिटेन में बिस्कॉन्ट पामर्स्टन ब्रिटेन का प्रधानमंत्री था।
- उसका कार्यकाल 1855 - 1858 ई. तक था।
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आधुनिक इतिहासकार जिसने 1857 के विद्रोह को स्वतंत्रता की पहली लड़ाई कहा, था - वी.डी. सावरकर M.P.P.C.S. (Mains) 2008
- वी.डी. सावरकर ने अपनी पुस्तक - ''The Indian War Of Independence 1857'' में इस विद्रोह को सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा दी।
- उन्होंने इसे स्वतंत्रता की पहली लड़ाई कहा था।
भारतीय स्वाधीनता आंदोलन का सरकारी इतिहासकार था - एस.एन. सेन U.P.P.C.S. (Pre) 2010
- 1857 के भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के सरकारी इतिहासकार सुरेन्द्र नाथ सेन (एस.एन. सेन) थे जिनकी पुस्तक ''एट्टीन फिफ्टी सेवन'' 1957 में प्रकाशित हुई थी।
भारतीय भाषा में 1857 के विप्लव के कारणों पर लिखने वाला प्रथम भारतीय था - सैयद अहमद खां U.P. Lower Sub. (Pre) 2009
- सर सैयद अहमद खां द्वारा लिखित पुस्तक असबाब - ए - बगावत - ए - हिंद वर्ष 1859 में प्रकाशित हुई थी जिसमें 1857 के विद्रोह के कारणों की चर्चा की गई थी।
महारानी विक्टोरिया ने भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश ताज के नियंत्रण में लेने की घोषणा कब की थी - 1 नवंबर, 1858 B.P.S.C. (Pre) 2008
- 1857 की क्रान्ति के दमन के पश्चात 1 नवंबर, 1858 को महारानी विक्टोरिया ने भारतीय प्रशासन को ब्रिटिश ताज के निंयत्रण में लेने की घोषणा की।
- इस घोषणा के बाद भारत में कंपनी के शासन को समाप्त कर भारत को सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन कर दिया गया।
- एक भारत मंत्री या सचिव तथा 15 सदस्यों वाली इंडियन काउंसिल की स्थापना की गई।
- तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग को ही भारत का प्रथम वायसराय बनाया गया।
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