तुर्की प्रशासन व्यवस्था में सैनिक संगठन का विशेष महत्व था सैन्य संगठन मुख्यतः मंगोल पद्धति पर आधारित था।
सल्तनत कालीन सुल्तानों में बलवंत को सैन्य विभाग की स्थापना तथा अलाउद्दीन खिलजी को एक स्थाई सेना के गठन का श्रेय दिया जाता है।
सुल्तानों की सैनिक शक्ति उनके सैनिक बल पर निर्भर करती थी।
आमीर खान, मलिक ये सब उपाधियां सैनिक श्रेणियां थी।
जिसमें खान सर्वोच्च अधिकारी होता था।
तुगलक राजवंश के अंतर्गत विजारत का चरमोत्कर्ष हुआ।
तुगलक वंश के शासक ने बहुत विजारत बनवाएं जैसे- हिसार, फिरोजाबाद, फतेहाबाद, फिरोजशाह, कोटला, जौनपुर नगरों की स्थापना किया।
उसने नहरों अस्पताल मस्जिद तथा गुम्बदों का निर्माण करवाया था।
आचार्य हेमचंद्र महान गुरु, समाज सुधारक, धर्मचार्य, गणितज्ञ एवं अद्भुत प्रतिभाशाली थे।
भारतीय चिंतन साहित्य और साधना के क्षेत्र में उनका नाम अत्यंत महत्वपूर्ण है।
साहित्य दर्शन, योग, व्याकरण, काव्यशास्त्र, वाढङ्गय के सभी अंङ्गो पर नवीन साहित्य की सृष्टि तथा नए पंथ को आलोकित किया।
सल्तनत काल में ऊंचे धार्मिक और न्यायिक पदों पर बैठे व्यक्तियों उलेमा को सामूहिक रूप से ‘दस्तार बन्दान’ (पगड़ी) पहनाने वाले कहा जाता था क्योंकि सिर पर आधिकारिक रूप से पहनी जाने वाली पगड़ी धारण करते थे।
फिरोजशाह तुगलक के राज्य अभिषेक के दौरान राज्य विस्तार के स्थान पर उसने आदर्श बनाया जनकल्याण को अपना आदर्श बनाया।
इनका आदर्श वाक्य था- खजाना बड़ा होने से अच्छा है लोगों के कल्याण, दुखी ह्रदय के अच्छा है खाली खजाना इन्होंने शासन की स्थिरता में सबसे बड़ा योगदान- सियासत (मृत्युदंड) पर निषेध था।
दिल्ली सल्तनत इतिहासकारों के मत से 1206 से 1526 तक भारत पर शासन करने वाले पांच वंश के सुल्तानों के शासन काल को दिल्ली सल्तनत या सल्तनत-ए-हिंद / सल्तनत-ए-दिल्ली कहा जाता है।
दिल्ली सल्तनत की भाषा फारसी थी।
तबकात-ए-नासिरी पुस्तक के लेखक मिनहाज-उस-सिराज है।
इस पुस्तक में मोहम्मद गोरी की भारत विजय तथा तुर्की सल्तनत के आरंभिक इतिहास की लगभग 1260 ई. तक की जानकारी मिलती है।
मिनहाज ने अपनी इस कृति को गुलाम वंश के शासक नसरुद्दीन महमूद को समर्पित किया था।
अमीर खुसरो ने सात सुल्तानों (बलबन, मोहम्मद, कैकूबद, जलालुद्दीन खिलजी, अलाउद्दीन खिलजी, मुबारक शाह खिलजी, गयासुद्दीन तुगलक) देखा था।
आमिर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे, जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है।
अमीर खुसरो पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने हिंदी और फारसी में एक साथ लिखा है।
अमीर खुसरो का पूरा नाम अबुल हसन यमीनुद्दीन था।
आमिर खुसरो दहलवी का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक ग्राम में गंगा किनारे हुआ था।
गांव पटियाली उन दिनों मोमिनपुर या मोमिनाबाद के नाम से जाना जाता था।
उनका परिवार कई पीढ़ियों से राज दरबार से संबंधित था।
अमीर खुसरो का पूरा नाम अबुल हसन यमीनुद्दीन था।
आमिर खुसरो दहलवी का जन्म उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक ग्राम में गंगा किनारे हुआ था।
गांव पटियाली उन दिनों मोमिनपुर या मोमिनाबाद के नाम से जाना जाता था।
उनका परिवार कई पीढ़ियों से राज दरबार से संबंधित था।