भारत का संवैधानिक विकास

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भारत का संवैधानिक विकास

भारतीय संविधान के ऐतिहासिक विकास का काल 1600 ई. से प्रारंभ होता है. इसी वर्ष इंग्लैंड में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी. ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना एक चार्टर एक्ट के द्वारा की गई थी.

कंपनी के प्रबंधन की समस्त शक्ति गवर्नर तथा 24 सदस्य परिषद में निहित थी. सन 1726 के राज लेख द्वारा कंपनी ने व्यापार के साथ-साथ विधि एवं न्याय के क्षेत्र में भी कदम रखना शुरू कर दिया.

सन 1726 के राज लेख द्वारा मुंबई तथा कोलकाता में नगर निगम की स्थापना की गई. मेयर एवं एल्डरमैन नामक दो अधिकारियों को इनका प्रशासन सौंपा गया.

यहां मेयर कोर्ट की स्थापना भी की गई जिन्हें अपने क्षेत्राधिकार में उत्पन्न होने वाले सिविल मामलों की सुनवाई का अधिकार दिया गया.

इस राज लेख द्वारा कोलकाता मुंबई तथा मद्रास प्रेसिडेंसी यों के राज्यपालों तथा उनकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई||


1773 का रेगुलेटिंग एक्ट- 

  • इस अधिनियम के तहत बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल पद नाम दिया गया एवं उसकी सहायता के लिए चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया गया.
  • इस व्यवस्था के तहत वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बना. मद्रास एवं मुंबई के गवर्नर को बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन कर दिया गया.
  • कोलकाता के गवर्नर को बंगाल बिहार एवं उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार दिया गया.
  • इसी एक्ट के तहत 1774 ई. में बंगाल में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश तथा तीन अन्य न्यायाधीश थे.
  • उच्चतम न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर एलिजा इम्पे थे जबकि अन्य न्यायाधीशों में चेंबर, लिमेस्टर तथा हाइड थे.


1781 का एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट-

  • रेगुलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करने के लिए लाए गए इस अधिनियम के तहत कोलकाता की सरकार को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा के लिए भी विधि बनाने का अधिकार दिया गया.


1784 का पिट्स इंडिया एक्ट-

  • इसके तहत अब भारत में कंपनी के कार्यों एवं प्रशासन पर ब्रिटिश सरकार का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हुआ. राजनीतिक मामलों के प्रबंधन के लिए नियंत्रण बोर्ड का गठन किया गया.
  • इस एक्ट के द्वारा द्वैध शासन की व्यवस्था आरंभ की गई. कंपनी के व्यापारिक एवं राजनैतिक कार्यों को एक दूसरे से अलग कर दिया गया.
  • ध्यान रहे- भारत में कंपनी द्वारा शासित क्षेत्र को पहली बार ब्रिटिश अधिपत्य का क्षेत्र कहा गया. केंद्रीय शासन का अनुपालन ना होने पर गवर्नर जनरल को प्रांतीय सरकारों को बर्खास्त करने का अधिकार भी दिया गया.
  • कंपनी के कर्मचारियों को उपहार लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया.


1813 का चार्टर एक्ट-

  • इसके द्वारा ईसाई धर्म प्रचारकों को भारत में धर्म प्रचार करने की छूट दी गई. 1813 का चार्टर एक्ट के द्वारा कंपनी के भारतीय व्यापार के एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया. 
  • किंतु उसे चीन के साथ व्यापार एवं पूर्वी देशों के साथ चाय के व्यापार के संबंध में 20 वर्षों के लिए एकाधिकार प्राप्त रहा. भारतीयों की शिक्षा पर ₹100000 वार्षिक धनराशि के खर्च का प्रावधान किया गया||


1833 का चार्टर एक्ट-

  • इसके द्वारा कंपनी के चीन से भी व्यापारिक अधिकार समाप्त कर दिए गए भविष्य में उसे केवल राजनीतिक कार्य ही करने बचे थे.
  • बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया. गवर्नर जनरल परिषद में एक विधि सदस्य चौथे सदस्य के रूप में सबसे पहले मैकाले को शामिल किया गया.
  • अतः इसी अधिनियम के परिणाम स्वरुप प्रथम विधि आयोग की भी स्थापना की गई. इसके तहत दास प्रथा को भी कानून के खिलाफ घोषित किया गया इसे बाद में समाप्त कर दिया गया.
  • इसी एक्ट के तहत कहा गया कि कोई भी भारतीय केवल धर्म, जन्मस्थान, वंश तथा वर्ण के आधार पर सरकारी सेवा के लिए अयोग्य नहीं समझा जायेगा.


1853 का चार्टर एक्ट-

  • इस एक्ट में सिविल सेवकों की भर्ती एवं चयन हेतु खुली प्रतियोगिता व्यवस्था का आरंभ किया गया. इसी के संबंध में 1854 ई. में भारतीय सिविल सेवा के संबंध में मैकाले समिति की भी नियुक्ति की गई.
  • इसके द्वारा कार्यपालिका तथा विधाई शक्तियों को पृथक किया गया. इस अधिनियम के द्वारा भारत के लिए एक पृथक विधान परिषद की स्थापना की गई तथा बंगाल के लिए एक नए लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति की गई.


1858 का अधिनियम-

  • 1857 की क्रांति के परिणाम स्वरूप भारत के शासन को कंपनी के हाथों से ब्रिटेन के सम्राट को हस्तांतरित कर दिया गया तथा भारत का शासन इंग्लैंड के सम्राट के अधीन आ गया.
  • अब गवर्नर जनरल का नाम भी बदलकर भारत का वायसराय कर दिया गया. 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट द्वारा लागू द्वैध शासन प्रणाली भी समाप्त कर दी गई.
  • इस अधिनियम ने नियंत्रण बोर्ड और निदेशक कोर्ट को भी समाप्त कर दिया गया.


1909 का भारत परिषद अधिनियम-

  • इसे मार्ले मिंटो सुधार के नाम से भी जाना जाता है. लॉर्ड मिंटो तत्कालीन वायसराय थे तथा जान मार्ले भारत सचिव थे.
  • इस अधिनियम के तहत पहली बार किसी भारतीय को वायसराय की कार्यपालिका परिषद से जोड़ने का प्रावधान किया गया.
  • इसके तहत सत्येंद्र प्रसाद सिंहा वायसराय की कार्यपालिका परिषद के प्रथम भारतीय सदस्य बने उन्हें विधि सदस्य के रूप में शामिल किया गया.
  • इस अधिनियम के तहत मुसलमानों के लिए सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व तथा अलग निर्वाचन क्षेत्रों की स्थापना की गई इसी कारण लॉर्ड मिंटो को सांप्रदायिक निर्वाचन के जनक के रूप में जाना जाता है.


1919 का भारत सरकार अधिनियम-

  • इसके अंतर्गत भारत में द्वैध शासन प्रणाली की स्थापना की गई जिसे 1858 ई. के अधिनियम के तहत समाप्त कर दिया गया था.
  • केंद्र में द्विसदनात्मक विधायिका की व्यवस्था की गई. इसे मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार के नाम से जाना जाता है. इस समय मांटेग्यू भारत सचिव तथा चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे.
  • प्रांतों में आंशिक उत्तरदायी शासन तथा द्वैध शासन की स्थापना की गई. प्रांतों में द्वैध शासन के जनक लियोनस कार्टिस थे. प्रांतीय विषयों को दो भागों हस्तांतरित और आरक्षित में बांटा गया.
  • प्रत्यक्ष निर्वाचन की व्यवस्था की गई. सांप्रदायिक आधार पर सिखों, भारतीय ईसाईयों, आंग्ल भारतीयों और यूरोपियों के लिए भी अलग निर्वाचन के सिद्धांत को लागू किया गया.
  • इस अधिनियम के तहत एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान भी किया गया.

ध्यान रहे-

  • वर्ष 1926 में ली आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय लोकसेवा आयोग का गठन किया गया.
  • इस अधिनियम द्वारा भारत सचिव को भारत में महालेखा परीक्षक की नियुक्ति का अधिकार भी दिया गया.


भारत सरकार अधिनियम 1935-

  • यह अब तक का सबसे बड़ा अधिनियम था जिसमें 321 अनुच्छेद तथा 10 अनुसूचियां थी.
  • इस अधिनियम द्वारा अखिल भारतीय संघ की स्थापना का प्रावधान किया गया प्रांतों में द्वैध शासन की व्यवस्था को समाप्त करके केंद्र में द्वैध शासन लागू किया गया तथा प्रांतों को स्वायत्तता प्रदान की गई.
  • केंद्र और प्रांतों में शक्तियों का विभाजन इसी अधिनियम के तहत दिया गया. इस अधिनियम को भारत के मिनी संविधान का दर्जा दिया गया है.
  • इस अधिनियम के तहत संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना के साथ-साथ प्रांतीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई. इस अधिनियम के तहत वर्ष 1937 में एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गई.
  • इसने भारत शासन अधिनियम 1858 द्वारा स्थापित भारत परिषद को समाप्त कर दिया. इसी अधिनियम के द्वारा वर्मा को ब्रिटिश भारत से पृथक कर दिया गया तथा दो नए प्रांत सिंध और उड़ीसा का निर्माण हुआ.
  • इसी समय केंद्रीय बैंक के रूप में भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई.


1947 का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम-

  • इस अधिनियम के तहत भारत में ब्रिटिश राज्य समाप्त कर दिया गया. किंतु साथ ही साथ भारत का विभाजन दो स्वतंत्र अधिराज्यों भारत तथा पाकिस्तान के रूप में किया गया.
  • इसने दोनों अधिराज्यों की संविधान सभाओं को अपने देश का संविधान तैयार करने और उसके लिए किसी भी देश के संविधान को अपनाने की शक्ति भी प्रदान की गई.
  • ब्रिटिश संसद में 4 जुलाई 1947 ई. को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रस्तावित किया गया जो कि 18 जुलाई 1947 ई. को स्वीकृत हुआ. 15 अगस्त 1947 ई. को भारत एवं पाकिस्तान नामक दो अधिराज बना दिए गए.
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भारत का संवैधानिक विकास - 01
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भारत का संवैधानिक विकास - 02
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भारत का संवैधानिक विकास - 04
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भारत का संवैधानिक विकास - 05
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भारत का संवैधानिक विकास - 06
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भारत का संवैधानिक विकास - 08
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भारत का संवैधानिक इतिहास से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न
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संविधान सभा एवं संविधान निर्माण प्रक्रिया से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न
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संविधान सभा एवं संविधान निर्माण प्रक्रिया - part 2
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संविधान की प्रस्तावना Part - 1
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संविधान के स्रोत एवं भाग
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संविधान की प्रस्तावना से महत्वपूर्ण प्रश्न Part-02
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भारत का संवैधानिक विकास
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संविधान की प्रस्तावना से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न पार्ट-2
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संविधान की प्रस्तावना से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न पार्ट-4
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संविधान की प्रस्तावना से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न पार्ट-6
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प्रस्तावना तथा संवैधानिक विकास
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